हम आम लोग हैं।
आपको पता है कि एक बगीचे में बहोत से प्रकार के फूल होते हैं।
कुछ फूल ऐसे होते हैं जिनकी खुशबू अच्छी होती है,
कुछ फूलों का रंग अच्छा होता है।
क्या हम इन फूलों को एक दूसरे से compare कर सकते हैं।
नहीं न?
क्योंके ज़रूरी नहीं है के अच्छे रंग वाले फूल में खुशबू भी अच्छी हो।
और सब से बड़ी बात कि कुछ फूल तो ऐसे होते हैं जिन को न खुशबु के लिए लगाया जाता है और न ही इस लिए लगाया जाता है कि उनका रंग अच्छा होता है।
हमारा सब से बड़ा प्रॉब्लम ये है कि कोई बंदा हमारे रंग रूप को लेकर कोई टिप्पणी कर दे तो फिर हम को बहोत दुःख होता है, हम खुदा से शिकायत करने लग जाते हैं कि उसने हमें ऐसा क्यों बनाया है?
अगर आपके खेत में कपास की फसल लगी है और कोई अक्लमंद आकर आपसे कहे "भाई तुम ने ये कोनसे फूल लगा लिए, इसमें तो खुशबु ही नहीं है और इनका रंग भी ज़्यादा अच्छा नहीं दिख रहा!"
अब आप बताओ आप क्या करोगे?
उसकी बेवक़ूफ़ी पर हँसोगे न?
या फिर रोने बैठ जाओगे "मेरे खेत के फूलों को उसने पसंद नहीं किया। "
आपको ज़रूर हंसी आएगी के ये बेवक़ूफ़ कपड़ा बनाने और तेल निकालने वाले फूलों में खुशबु तलाश कर रहा है!
आप देखिये कि आप कोनसे फूल हो?
माफ़ करना आप फूल नहीं हो बल्कि आप तो इंसान हो।
आपके पास दिमाग है, जज़्बा है, दिल है सभी कुछ तो है।
बस आप थोड़े से अलग दिखते हो।
अब ये देखना है के आप क्या कर सकते हो?
जिस दिन आप कुछ बन जाओगे न उस दिन आपकी कमिया भी लोगों को अच्छी लगने लगेगी।
सचिन तेंदुलकर की आवाज़ बहोत पतली है।
फिर भी पैसे देकर लोग उसको सुन्ना चाहते हैं।
इसलिए सुन्ना नहीं चाहते कि उसकी आवाज़ अच्छी हो गयी है।
लोग इस लिए उनको सुन्ना चाहते हैं क्यों कि उनका क्रिकेट बहेतरीन है।
क्या डॉक्टर ऐ.पि.जे अब्दुल कलाम बहोत अच्छे दिखते थे?
वो एक आम से इंसान दिखते थे।
मगर आज हज़ारों लोग अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर उनकी फोटो लगाते है।
एक बार फिर से सोचिये के आप कोन हो?
अब आपको ये देखना है के आप क्या कर सकते हो?
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और आम लोगों की खास बात ये होती है कि वो ये ज़रूर देखते हैं कि उनके पास क्या नहीं है?
हमारा सब से ज़्यादा फोकस अपने रंग रूप पर होता है!
हम ये सोचते रहते हैं कि मैं मोटा हूँ, पतला हूँ, काला हूँ, मेरी हाइट कम है या ज़रुरत से ज़्यादा है,
मेरी नाक बहोत छोटी है या मोटी है,
या फिर हाथ, पाव या आँखों में कुछ कमी है,
मेरे सर में बाल कम हैं या फिर मेरा दिमाग कम है!
ये सोचने में हम लोग इतने व्यस्त होते हैं के अपने पास मौजूद टैलेंट और अपनी ताकत को ही नहीं पहचान पाते।
हमारा सब से ज़्यादा फोकस अपने रंग रूप पर होता है!
हम ये सोचते रहते हैं कि मैं मोटा हूँ, पतला हूँ, काला हूँ, मेरी हाइट कम है या ज़रुरत से ज़्यादा है,
मेरी नाक बहोत छोटी है या मोटी है,
या फिर हाथ, पाव या आँखों में कुछ कमी है,
मेरे सर में बाल कम हैं या फिर मेरा दिमाग कम है!
ये सोचने में हम लोग इतने व्यस्त होते हैं के अपने पास मौजूद टैलेंट और अपनी ताकत को ही नहीं पहचान पाते।
ऐसा क्यों होता है?
आज सोशल मिडिया का दौर है।
रियल लाइफ में गंगाधर दिखने वाला बंदा सोशल मिडिया पर शक्तिमान दिखता है।
आप टी.वी सिरिअल देखो,फिल्मे देखो, उसमे हीरो और हेरोईन बील्कुल परफ़ेक्ट दीखते हैं।
उनमें कोई कमी नज़र नहीं आती।
आपने टी.वी पर वो क्रीम ज़रूर देखी होगी जो चार हफ़्तों में आपको गोरा बनाने का दावा करती है!
आपने टी.वी पर वो क्रीम ज़रूर देखी होगी जो चार हफ़्तों में आपको गोरा बनाने का दावा करती है!
क्या सच मुच ऐसा होता है?
ऐसा बील्कुल नहीं होता।
आप इंसान है तो आप में कुछ तो कमी ज़रूर होगी।
और कुछ ऐसा भी ज़रूर होगा जो पूरी दुनिया में किसी के भी पास नहीं है।
यही इंसान की सब से बड़ी खूबसूरती है।
आपको पता है कि एक बगीचे में बहोत से प्रकार के फूल होते हैं।
कुछ फूल ऐसे होते हैं जिनकी खुशबू अच्छी होती है,
कुछ फूलों का रंग अच्छा होता है।
क्या हम इन फूलों को एक दूसरे से compare कर सकते हैं।
नहीं न?
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क्योंके ज़रूरी नहीं है के अच्छे रंग वाले फूल में खुशबू भी अच्छी हो।
और सब से बड़ी बात कि कुछ फूल तो ऐसे होते हैं जिन को न खुशबु के लिए लगाया जाता है और न ही इस लिए लगाया जाता है कि उनका रंग अच्छा होता है।
और उनको बाग़ में भी नहीं लगाया जाता लेकिन उनकी सब से ज़्यादा ज़रुरत होती है, जैसे कपास का फूल।
और सब से ज़्यादा ज़रुरत कपास के फूलों की ही होती है।
क्योंके उससे कपड़ा बनता है जिस से सर्दी और गर्मी से बचा जा सकता है। बीजों से तेल निकाला जाता है जो खाने के लिए इस्तेमाल होता है। तेल कॉस्मेटिक्स में भी इस्तेमाल होता है।
कपास के बीजों को जानवरों को भी खिलाया जाता है।
और भी बहोत जगह इस को इस्तेमाल करते है।
और सब से ज़्यादा ज़रुरत कपास के फूलों की ही होती है।
क्योंके उससे कपड़ा बनता है जिस से सर्दी और गर्मी से बचा जा सकता है। बीजों से तेल निकाला जाता है जो खाने के लिए इस्तेमाल होता है। तेल कॉस्मेटिक्स में भी इस्तेमाल होता है।
कपास के बीजों को जानवरों को भी खिलाया जाता है।
और भी बहोत जगह इस को इस्तेमाल करते है।
हमारा सब से बड़ा प्रॉब्लम ये है कि कोई बंदा हमारे रंग रूप को लेकर कोई टिप्पणी कर दे तो फिर हम को बहोत दुःख होता है, हम खुदा से शिकायत करने लग जाते हैं कि उसने हमें ऐसा क्यों बनाया है?
अगर आपके खेत में कपास की फसल लगी है और कोई अक्लमंद आकर आपसे कहे "भाई तुम ने ये कोनसे फूल लगा लिए, इसमें तो खुशबु ही नहीं है और इनका रंग भी ज़्यादा अच्छा नहीं दिख रहा!"
अब आप बताओ आप क्या करोगे?
उसकी बेवक़ूफ़ी पर हँसोगे न?
या फिर रोने बैठ जाओगे "मेरे खेत के फूलों को उसने पसंद नहीं किया। "
आपको ज़रूर हंसी आएगी के ये बेवक़ूफ़ कपड़ा बनाने और तेल निकालने वाले फूलों में खुशबु तलाश कर रहा है!
आप देखिये कि आप कोनसे फूल हो?
माफ़ करना आप फूल नहीं हो बल्कि आप तो इंसान हो।
आपके पास दिमाग है, जज़्बा है, दिल है सभी कुछ तो है।
बस आप थोड़े से अलग दिखते हो।
नहीं है चीज़ निकम्मी कोई ज़माने में,
कोई बुरा नहीं है कुदरत के कारखाने में।
अब ये देखना है के आप क्या कर सकते हो?
जिस दिन आप कुछ बन जाओगे न उस दिन आपकी कमिया भी लोगों को अच्छी लगने लगेगी।
सचिन तेंदुलकर की आवाज़ बहोत पतली है।
फिर भी पैसे देकर लोग उसको सुन्ना चाहते हैं।
इसलिए सुन्ना नहीं चाहते कि उसकी आवाज़ अच्छी हो गयी है।
लोग इस लिए उनको सुन्ना चाहते हैं क्यों कि उनका क्रिकेट बहेतरीन है।
From My FB Page |
वो एक आम से इंसान दिखते थे।
मगर आज हज़ारों लोग अपनी प्रोफाइल पिक्चर पर उनकी फोटो लगाते है।
एक बार फिर से सोचिये के आप कोन हो?
अब आपको ये देखना है के आप क्या कर सकते हो?
इस आर्टिकल में लिखा है कि किस काम को आप पूरी तरह एन्जॉय कर सकते हो और कोनसा काम आपकी पर्सनालिटी के लिए सब से अच्छा है।
जिस दिन आप कुछ बन जाओगे न, उस दिन आपकी कमिया भी लोगों को अच्छी लगने लगेगी।
खुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले,
खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
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जिस दिन आप कुछ बन जाओगे न, उस दिन आपकी कमिया भी लोगों को अच्छी लगने लगेगी।
खुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले,
खुदा बन्दे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
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मुझे कमेंट करके ज़रूर बताये कि आप अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए क्या करने वाले हो?
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