February 9, 2019

सच्चा झूठ (कहानी)

सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से,
के खुशबू आ नहीं सकती है कागज़ के फूलों से।

साच को आंच नहीं।
और पता नहीं कितने शेर और मुहावरे आप बचपन से सुनते आरहे हैं। जिस में आप से कहा गया है कि हमेशा सच बोलो।

आप ने गलत मक़सद इस कहानी में पढ़ा था कि किस तरह आलिम साहब ने बादशाह को दिखाने के लिए नमाज़ पढ़ी थी।

आज मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ जिस से आपको समझ में आजाएगा कि ज़िन्दगी में हमेशा सच मत बोलो।
कभी कभी अच्छे मक़सद के लिए झूठ भी बोलना चाहिए।



एक छोटा बच्चा राजू अपनी माँ के साथ रहता था।
राजू का बाप नहीं था।
अकेली माँ बच्चे का पालन पोषण कर रही थी।
राजू थोड़ा बड़ा हुआ तो माँ ने उसको बताया कि बेटा तुम्हे अपने पिताजी के जैसा देश भक्त बनना है और देश की सेवा करना है।
राजू ने पूछा  "माँ, पिताजी क्या करते थे?"
माँ ने बताया  "बेटा तुम्हारे पिताजी फौजी थे, और वो देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए थे।



बेटे को ये सुन कर बहोत गर्व महसूस होता था, वो सोचता था कि मैं भी कुछ ऐसा ही करुगा।
राजू स्कूल जाने लगा और पढ़ाई करने लगा।
वो पढ़ाई में बहोत अच्छा था।
माँ हमेशा उसको उसके बाप की बहादुरी की कहानियाँ सुनाती रहती थी।
जब राजू थोड़ा और बड़ा हो गया तो माँ ने उसको उसके बाप के हाथ का लिखा हुआ एक खत दिया।
जो बच्चे के फौजी बाप ने अपनी मौत से पहले बीवी की लिखा था।
खत ऐसा लिखा हुआ था।

【 मैं यहाँ ठीक हूँ और उम्मीद है के तुम भी बहोत अच्छी होगी।
आज सुबह से बॉर्डर पर बहोत ज़्यादा गोलाबारी हो रही है और दुश्मन ने हमले और भी तेज़ कर दिए हैं।
हम लोग भी ईट का जवाब पथ्थर से दे रहे हैं।


मगर पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है कि में अब घर वापस नहीं आ पाऊँगा।
हमारा प्यारा बेटा कैसा है?
उसको मेरे तरफ से बहोत सारा प्यार देना।
और मैं चाहता हूँ के मेरा बेटा बड़ा हो कर डॉक्टर बने और मेरी तरह ही देश की सेवा करे।
ज़िन्दा रहे तो फिर मिलेंगे.....】

माँ ने बताया के ये उसके बाप का आखरी खत आया था और उसके कुछ दिनों बाद फौजी बाप की लाश ही तिरंगे मे लिपट कर आई थी।
बेटे ने अपने बाप की ख्वाहिश पूरी करने के लिए दिन रात एक कर दिये।
मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर डॉक्टर बन गया।

डॉक्टर भी ऐसा डॉक्टर जो अपने काम में बहोत माहीर था।
उसने बहोत बड़ा दवाखाना बनाया जहाँ गरीबों का बहोत कम कीमत में बहोत अच्छा इलाज होने लगा।
वो गरीबों के लिए मसीहा बन गया।
और अपने बाप की तरह ही देश की सेवा करने लगा।
उसकी माँ बूढ़ी हो चुकी थी।
जब माँ को ऐसा लगा के अब वो ज़्यादा दिन तक नहीं जियेगी, एक दिन उसने बेटे को बुलाकर कहा "बेटा मैं ने एक खत में तुम्हारे लिए वसीयत लिखी है और वो खत मेरी अलमारी में रखा है, मेरे मरने के बाद तुम उस खत को ज़रूर पढ़ना।
मगर मेरी मौत से पहले उसको हाथ मत लगाना।

कुछ दिनों बाद माँ की मौत हो गयी।
माँ की मौत के कुछ दिनों बाद जब सब मेहमान अपने अपने घरों को चले गए तो तो बेटे को अपनी माँ के खत की याद आयी।
उसने खत अलमारी से निकाल कर पड़ना शुरू किया तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।
उसको यकीन नहीं आया कि उसकी माँ ज़िन्दगी भर इतना बड़ा झूट उसके साथ बोलती रही।

कुछ इस तरह से लिखा हुआ था।

【मेरे प्यारे बेटे मेरी दुआ है के तुम सदा खुश रहो।
तुम्हारी ज़िन्दगी में हमेशा खुशिया ही खुशिया रहे और कभी भी गम न आये।
आज मैं तुम्हे एक ऐसी बात बताने वाली हूँ के शायद तुमको यकीन न आये।
हाँ बीटा, मैं ने ज़िन्दगी भर तुम से झूट बोला के तुम्हारे पिताजी एक फौजी थे। और वो देश के लिए लड़ते हुए शहीद हुए थे।
ये तुम्हारी ज़िन्दगी का सब से बड़ा झूट है क्योंकि तुम्हारे पिताजी फौजी नहीं थे।
वो एक डाकू थे और उनकी मौत पोलिस के साथ एनकाउंटर में गोली लगने पर हुई थी।


तुम्हारे पिताजी की मौत के बाद सब लोग मुझ से बहोत नफरत करते थे और हमेशा मुझे ताने देते रहते थे के मैं एक डाकू की बीवी हूँ।
तुम उस वक़्त बहोत छोटे थे।
मैं ये महसूस कर रही थी की अगर तुम इस माहौल में रहोगे तो तुम भी अपने बाप की तरह डाकू बन जाओगे।
मुझे तुमको देश का दुश्मन डाकू नहीं बनाना था।
मैं चाहती थी के तुम एक देश भक्त इंसान बानो
और देश की सेवा करो।
बस इसी लिए मैंने एक झूट बोलने का फैसला किया।
ज़िन्दगी भर तुमसे झूट बोलने का फैसला।

इसके लिए सब से पहले मैं उस गांव को छोड़ कर बहोत दूर के एक शहर में आकर रहने लगी।
और सभी लोगों को मैंने यही बताया के मैं एक देश के लिए अपनी जान देने वाले फौजी की बीवी हूँ। और मेहनत करके तुम्हे पलने लगी और तुम्हे भी यही कहा कि तुम एक फौजी के बेटे हो।
और तुम्हारे बाप के हाथ का लिखा हुआ खत जो मैंने तुम्हें दिया था वो खत तुम्हारे पापा ने नहीं लिखा था।
वो भी मैंने ही लिखा था।
मुझे पता है के मैंने ज़िन्दगी भर तुमसे एक बहोत बड़ा झूट बोला है लेकिन बेटा आज तुम जो कुछ भी हो वो सिर्फ उसी झूट की वजह से हो।
मुझे उम्मीद है तूम मुझे माफ़ कर दोगे।
तुम्हारी माँ 】

खत पढ़ने के बाद बेटा फुट फुट कर रोया। उसको इस बात का बहोत गम था के उसका बाप जिसको वो एक फरिश्ता समझता था वो एक डाकू था। और साथ में उसके दिल में अपनी माँ के लिए प्यार और इज़्ज़त और भी बढ़ गयी।

तो दोस्तों क्या ख्याल है?
क्या आपने भी किसी अच्छे मक़सद के लिए झूट बोला है?
कमेंट करके ज़रूर बताएं।

कहानी पसंद है तो दोस्तों के साथ share ज़रूर कीजिये।


Reference: (बहोत साल पहले किसी बुक में ये कहानी पढ़ी थी,लेखक का नाम याद नहीं।)
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